Maharana Pratap ki Jivani

Dear Friends, आज हम महाराणा प्रताप की जवानी (Maharana Pratap ki Jivani) पर चर्चा करेंगे | आज हम राणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था और उनके पुत्रों एवं पत्नियों का क्या नाम था, इन विषयों पर आज हम इस लेख द्वारा चर्चा करंगे | राणा प्रताप के जीवन में हल्दी घाटी के युद्ध में क्या हुआ इस विषय पर भी संक्षिप्त में चर्चा करंगे |
जीवन परिचय की कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
महत्वपूर्ण बिंदु | नाम |
पिता | राणा उदय सिंह |
माता | जयवंता बाई जी |
महाराणा प्रताप का जन्म | 9 मईं 1540 |
महाराणा प्रताप की मृत्यु | 29 जनवरी 1597 |
पत्नी | अजबदे |
पुत्र | अमर सिंह |
उनके घोड़े का नाम | चेतक |
हल्दी घडी युद्ध | 18 जून 1576 |
राणा प्रताप का जन्म 9 मईं 1540 को कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था , इनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह था | इनके कुल 11 पत्नियाँ थी और 17 पुत्र भी थे |
महाराणा प्रताप सिंह की पत्नियों एवं पुत्रों के नाम
राणा प्रताप सिंह की पत्नियों के नाम |
- महारानी अज्बदे पुनवर 7. चम्पाबाई झाती
- अमर्बाई राठौर 8. खीचर आशा बाई
- रत्नावातिबाई परमार 9. शाहमतिबाई हाडा
- जसोबाई चौहान 10.लखाबाई
- फूल बाई राठौर 11.सोलान्खिनिपुर बाई
- अलाम्देबाई चौहान
राणा प्रताप सिंह के पुत्रों के नाम |
- अमर सिंह 11. कुंवर हाथी सिंह
- कुंवर माल सिंह 12. चंदा सिंह
- सनवाल दास सिंह 13. कुंवर रैभाना सिंह
- कुंवर गोपाल 14. भगवन दास
- पूरन मॉल 15. कुंवर राम सिंह
- कुंवर जसवंत सिंह 16. शेख सिंह
- सहस मॉल 17. कुंवर दुर्जन सिंह
- कुंवर कल्यान दास
- कचरा सिंह
- कुंवर नाथा सिंह
हल्दी युद्ध |
हल्दी युद्ध महाराणा प्रताप सिंह और अकबर के बीच में हुआ था | हल्दी घडी युद्ध की तिथि 18 जून 1576 है | राणा प्रताप के वीरता के चर्चे he जगह प्रसिद्ध है क्यूंकि वह महज 20,000 सैनिको को लेकर मुगलों के 80,000 सैनिको से लोहा लिया था | इस युद्ध में मुगल सेना का संचालन मानसिंह और आसफ खां ने किया था और मेवाड़ के सैनिको का संचालन खुद महाराणा प्रताप और हाकिम खान सूरी ने किया था | महज 20,000 सैनिक भी मुगलों के 80,000 सैनिको पर बारी पड़ गई और मुगलों के विशाल सेना के छक्के छुड़ा दिए |
इस युद्ध का निष्कर्ष महाराणा प्रताप सिंह की विजय मान जाती है | इस युद्ध के पश्चात अकबर के मन में इतना खौफ आ चूका था की युद्ध के पश्चात अपनी राजधानी लाहौर में विस्थापित कार ली थी |
राणा प्रताप सिंह का घोडा “चेतक” |
हल्दी युद्ध महाराणा प्रताप सिंह की वीरता की कहानी बहुत प्रसिद्ध है तथा उनके घोड़े “चेतक” की भी बहुत प्रशंसा होती है क्यूंकि कहा जाता है की महाराणा प्रताप सिंह का चेतक की छलांग बहुत लम्बी थी | चेतक हाथी के मस्तक तक छलांग लगा सकता था | इस युद्ध में चेतक ने मुग़ल सेना के सेनापति मानसिंह के हाथी के मस्तक पर बाज के समान छलांग लगा दी थी फिर राणा प्रताप सिंह मानसिंह पार वार किया था |
जब मुग़ल सेना महाराणा प्रताप सिंह के पीछे पड़ी थी तो चेतक ने 26 फीट लम्बी नाली को छलांग द्वारा पार कर दिया ओर मुग़लों की सेना उस नाले को पार न कर सकी | युद्ध में महाराणा प्रताप सिंह के साथ चेतक को भी वीरगति प्राप्त हुई थी |
महाराणा प्रताप सिंह की मृत्यु |
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